दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
शबरी सँवारे रास्ता आएंगे राम जी - राम भजन
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥
अर्थ- हे शिव शंकर आप तो संकटों का नाश करने वाले हो, भक्तों का कल्याण व बाधाओं को दूर करने वाले हो योगी यति ऋषि मुनि सभी आपका ध्यान लगाते हैं। शारद click here नारद सभी आपको शीश नवाते हैं।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
अस्तुति चालीसा शिविही, सम्पूर्ण कीन कल्याण ॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
आपके पास पूजा के लिए दूध दही घी शक्कर शहद यानि पंचामृत तथा चंदन पुष्प बेलपत्र त्रिशूल डमरू आदि होने चाहिए अगर आपका व्रत है तो शाम को पूजा करने के बाद ही व्रत खोलें अंत में प्रसाद वितरण करें
चालिसा भगवान शिवाशी मजबूत आध्यात्मिक संबंध निर्माण करण्यास मदत करते. दररोज श्री शिव चालिसाचा जप केल्याने भक्ताला शांती, आंतरिक शक्ती आणि आध्यात्मिक वाढ मिळेल.